Monday, August 8, 2011

देशभक्ति नाम नहीं जज्बा है

हर साल १५ अगस्त और २६ जनवरी को हम देश के हर कोने में तिरंगा फहराते हैं और आज़ादी के लिए  कुर्बान हुए उन वीर सपूतों को श्रधांजलि देते हैं जिनकी वजह से आज हम आज़ाद वतन में  जी रहे हैं. उस दिन राष्ट्रगान में सम्मान से जब हम उस खड़े होते हैं तो अन्दर एक अजीब सा उत्साह कौंधता है. ऐसा लगता है की मेरे वतन से बढ़कर कोई महान नहीं. इस धरती के शान पर  मर मिटने को जी करता है. हर वो बात हर वो पाल याद आता है जब हमने  अपने दुश्मनों को परास्त कर अपने देश का गौरव और बढाया हो.

पर ऐसा सिर्फ २६ जनवरी और १५ अगस्त को ही क्यूँ लगता है. क्या आज हमारे लिए देशभक्ति महज़ एक नाम बनकर रह गया है जो हमें बस इन दो दिनों में ही याद आता है . या देशभक्ति एक जज्बा है, जो एक इंसान के हर उस काम में झलकने वाली भावना है , जिसके लिए हर नागरिक ताउम्र म्हणत करता है. कभी १५ अगस्त के दिन जवानों की परेड देखि है , कभी सीने पर मेडल लगाये उन वीर सप्तों को देखा है. उनसे पूछिए देशभक्ति क्या है. क्या वो उनके करियर  की तरह प्रोफेशनल  चीज़ है या देश में फैले करप्शन की तरन कोई बीमारी है.
देशभक्ति हर वो काम जिसमे ओनी भलाई के साथ राष्ट्रहित भी समाहित हो. देश के अरबों रुपये खर्चा कर जब को डॉक्टर, इंजिनियर, साइंटिस्ट, या कोई भी स्किल्लेद लेबर विदेशों में चला जाता है तो भी सिर्फ अपना स्वार्थ साधता है. हम हमेशा सोचते है देश ने हमे क्या दिया है..कभी ये सोचा की हमने देश की लिए क्या किया..पढ़ लिख कर योग्य बन ने का बाद देश के हित के लिए क्या किया...बस यही करप्शन, ब्लैक मार्केटिंग, क्रिमिनल रिकॉर्ड और न जाने क्या क्या. आज पूरी दुनिया भारतीय डोक्टरों, इंजिनियरओं, बिसनेस प्रोफेशनल और साइंटिस्टओं का लोहा मानती है. पर इन लोगों ने भारत में शिक्षा ग्रहण करने के बाद. अपने देश के हित लिए क्या किये. सिर्फ नाम कमाया विदेशों में और वो भी सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए..क्या किया इस देश की  हालत को सुधरने के लिए.. क्या ये सवाल मान कौंधता है कभी ...अगर कौंधता है ..तू पूछिए खुद से. इस देश की दुर्दशा का कारन क्या है..१५ अगस्त मानाने के लिए तो पूरी उम्र पड़ी है .